हरियाणा के रोहतक जिले में एक गांव है "समाल"। दिल्ली-रोहतक लाईन पर इस गांव का छोटा सा रेलवे स्टेशन है "ईस्माइला हरियाणा"। हाँ समाल का यही असली नाम है। यहां पर एक ताऊ रामजी लाल रहता था (असली नाम याद नहीं है)। रामजी लाल के पिताजी पाकिस्तान विघटन के समय पंजाब से यहां विस्थापित हुये थे। रामजी लाल ने कुछ भैसें खरीदी और दूध का कारोबार शुरु किया। रामजी लाल के पास 2-3 गधे भी थे। रोजाना सुबह दूध के ड्रम (डिब्बे) गधों पर लादे जाते और गधे अपने आप स्टेशन पर पहुंच जाते। वहां गाडी से आने वाले दूधिये उन डिब्बों को गधों से उतारकर ट्रेन में लेकर दिल्ली सप्लाई कर आते। पूरा दिन गधे वहीं स्टेशन के आस-पास घास चरते रहते और शाम की गाडी के समय स्टेशन पर आ जाते। खाली डिब्बे उनपर लाद दिये जाते और गधे वापिस अपने घर यानि रामजी लाल के घर पहुंच जाते। ये बात 1972 की हैं, मेरे पिताजी द्वारा मुझे बताई गई हैं। पिताजी के मामाजी "समाल" निवासी थे।
अब इस बात से विचार आया कि क्या गधा सचमुच गधा होता है? मेरा मतलब है क्या गधा सचमुच मूर्ख प्राणी होता है? नहीं जी बिल्कुल नहीं। गधे पंक्ति बना कर चलते हैं, पंक्ति में खडे होते हैं और गंतव्य पर पहुंच कर रुकते हैं।
आप अपनी गाडी से कहीं जा रहे हैं और आपके रास्ते में कोई गधा खडा हो तो आप लाख हॉरन बजायें बहुत कम मौके हैं कि गधा वहां से हट जाये। आपको गाडी से उतर कर कान पकड कर (अजी अपना कान नहीं,गधे का) उसे धकियाना पडेगा। गधा जब खाली मतलब बिना बोझ के चलता है तो बीच सडक पर चलता है और अगर आपउसपर सवार हो जायें (मैनें करके देखी है जी गधे की सवारी) तो एकदम साईड में चलना शुरु कर देगा। दीवार के साथ-साथ, ताकि आपके घुटने दीवार से रगड खाते रहें और आप उस पर से उतर जायें। उतरते ही फिर सडक के बीच में चलने लगेगा।
मुझे तो देखने में गधा बहुत विचारशील प्राणी दिखता है। कहीं दो-तीन गधों को धूप में खडे देखिये, उनकी आँखें और चेहरा, ऐसा लगता है कि कुछ बुद्धिजीवी काश्मीर मसले या ऐसी ही किसी समस्या पर मंत्रणा या विमर्श कर रहे हों।
"गधा इतना भी गधा नहीं होता" इस विचार को मजबूती प्रदान करता एक आखिरी उदाहरण ये है कि मुझ गधे को पढने के लिये ही आप लोग इस पोस्ट पर आये हैं।
सभी चित्र गूगल से साभार
सभी चित्र गूगल से साभार
क्या गधा, सचमुच गधा होता है
ReplyDelete.........जी बिल्कुल नहीं
गधों के बारे में एक कहावत और है की गधा बहुत मेहनती जीव है ...अतः आपके इस पोस्ट के बाद किसी गधे को सचमुच गधा(मुर्ख और अनुपयोगी) कहना मुश्किल होगा ...
ReplyDelete5.5/10
ReplyDeleteदिलचस्प
मौलिक पोस्ट
aji gadhe to hami hai jo gadhe ke peechhe hi pad gaye
ReplyDeleteसोहिल भाई, आपकी अन्तिम बात में दम है। गधा किसी ब्लॉगर से कहाँ कम है।
ReplyDeleteगधा का चरित्र, बड़ा सधा है। अन्यथा तो बोलता ही नहीं है।
ReplyDeleteगधा वाकई गधा नहीं होता है ... मान लिया
ReplyDeleteगधा जब खाली मतलब बिना बोझ के चलता है तो बीच सडक पर चलता है और अगर आपउसपर सवार हो जायें (मैनें करके देखी है जी गधे की सवारी) तो एकदम साईड में चलना शुरु कर देगा
ReplyDeleteहा हा हा गधानामा तो जोरदार लगा ...
बहुत सुंदर लगी आप की गधे की कथा, वेसे कोई भी जानवर वेबकुफ़ नही होता,बस वेजुबान होते हे बेचारे,अति सुन्दर प्रस्तुति . धन्यवाद
ReplyDeleteये गधा-चरित्र बाँचकर मन खूऊऊऊब आनन्दित हुआ :)
ReplyDeleteऐसी मौलिक और गज़ब की जानकारी और किसी ब्लॉग पर न मिलने की।
ReplyDeleteन बिल्कुल नहीं ..असल में गधे तो हम होते हैं ..और गधे को देखिए ..कि वो हमें इंसान समझता है ..हद है गधेपन की ..वैसे सच में गधा ...उतना भी गधा नहीं होता ..जितना आदमी खुद एक गधा होता है
ReplyDelete""गधा इतना भी गधा नहीं होता" इस विचार को मजबूती प्रदान करता एक आखिरी उदाहरण ये है कि मुझ गधे को पढने के लिये ही आप लोग इस पोस्ट पर आये हैं।"
ReplyDeleteजो इस बात का प्रमाण है की गधा सचमुच में गधा नहीं होता ....हा-हा-हा-हा
एक सज्जन का चुनाव चिन्ह गधा था। उसका नफा यह हुआ कि ढ़ेरों उम्मीदवारों के बीच लोगों ने उन्हे ज्यादा याद रखा। :)
ReplyDeleteअसल में ऐसा है अमित जी कि गधा शान्त, सहनशील और विरोध ना करने वाला एकमात्र प्राणी है। अगर किसी इंसान में ये गुण हों तो आजकल उसे मूर्ख कहा जाता है। इसीलिये उसकी तुलना गधे से की जाती है। और इसीलिये गधा भी मूर्खों का पर्याय बन गया है।
ReplyDeleteप्रणाम सोहेल जी , आपकी ये रचना कल चर्चामंच पे चर्चा में रहेगी :)
ReplyDeleteसादर
कमल
किसी एक कविता की अंतिम पंक्तियां हैं ''...माइक के इस तरफ भी गधा है, माइक के उस तरफ भी गधे हैं'' नि:संदेह गधे केवल ईस्माइला हरियाणा में ही नहीं हैं समाज में हर तरफ गधे ही गधे हैं :-)
ReplyDeletegadha to gadha hota hai. use chahe koi murkh kahe ya sayana. jaise cow ko cow, horse ko horse etc.
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