05 March 2010

कभी देखे या रखे हैं पंखें पर चप्पल-जूते

सिरसा एक्सप्रेस में लगभग सभी बोगियों में पंखों पर चप्पल-जूते रखे हुये दिख जायेंगें।
क्यों ?
From अन्तर सोहिल = Inner Beautiful
क्योंकि सामान रखने की जगह पर लोग बैठते हैं, अगर ये लोग जूते पहने बैठेंगें तो नीचे वाले लोगों के सिरों पर मिट्टी गिरेगी।
नीचे क्यों नहीं निकालते?
इसलिये कि नीचे निकाले हुये जूते या तो जल्दबाजी में बदली हो जाते हैं, या गुम हो जाते हैं। (ड्राईवर की साईड में निकाला हुआ जूता गार्ड की साईड वाले शौचालय के पास तक पहुंच जाता है।)
सिरसा एक्सप्रैस की एक सामान्य बोगी में 90 सीटिंग होती है, मगर इनमें बैठते हैं 250 से 300 यात्री।
कैसे ?
आईये बताता हूं -
एक बोगी में होते हैं 9 कूपे या डिपार्टमेंट
एक कूपे में 4+4+1+1 = 10 सीट
4 जनों की सीट पर बैठते हैं 7 लोग और 1 वाली पर 3
From अन्तर सोहिल = Inner Beautiful
और 4+4 के ऊपर बर्थ  पर 8 से 10 लोग बैठते हैं(नहीं यह बर्थ नही होती सामान रखने के लिये टांड होती है जी, इन्हीं के जूते चप्पल पंखों पर रखे होते हैं)कितने हो गये जी 28X9 = 252
अब जो लोग आने-जाने के रास्ते यानि गैलरी में और दरवाजे पर लटके और शौचालय में खडे-खडे यात्रा करते हैं, उनकी गिनती भी कम से कम 50 तो हो ही जाती है।

5 comments:

  1. क्या सिरसा एक्सप्रेस (हरियाणा एक्सप्रेस) में आरक्षण नही होता?

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  2. भाऐ ये सिरसा एक्सप्रेस नही सुरसा एक्सप्रेस होगी जो अपना पेट फ़ैलाकर २५२ को समा लेती है एक ही डिब्बे में?:(

    रामराम.

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  3. @नीरज मुसाफिर
    नहीं जी इसमें आरक्षण नही होता है। इस का समय दिल्ली में नौकरी-पेशा और काम-धंधा करने वालों के लिये बहुत अनुकूल है इसलिये यह गाडी दैनिक यात्रियों के लिये विशेष है, क्योंकि इसमें 90% यात्री दिल्ली में नौकरी या व्यवसाय करने वाले होते हैं और जिनका घर हरियाणा में है। यह सुबह 9:45 बजे तक दिल्ली पहुंचती है और शाम 6:15 बजे दिल्ली से छूटती है।

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  4. सुन्दर अवलोकन तथा सही गणना!

    प्रायः हर उस ट्रेन में, जिसमें लोग रोज ही अप-डाउन करते हैं, ऐसा ही हाल रहता है।

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  5. राहुल ओर ममता को एक दिन इस मै यात्रा करवाये

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