31 March 2009

क्या स्लीवलैस टी-शर्ट पहनने वाला भी अनैतिक है

"एक दिन पुरुषों से भी कहा जाता होगा कि पैंट नहीं सलवार पहनो या पाजामा या धोती या ऐसा ही कुछ।
"कट्टरपंथ यूँ ही अचानक नहीं आता होगा, वह दबे कदम आता होगा। घुघूतीबासूती

इसी तरह की एक छोटी सी घटना हुई है २८ मार्च को बेंगलूर में भुक्तभोगी जगदीश बी0 एन0 जो पेशे से वकील हैं के अनुसार मिलर्ज रोड पर अयप्पा मंदिर के पास पांच लोगों (नैतिकता सिखाने वाले फौजी) ने उसे रोक कर स्लीवलैस टी-शर्ट पहनने पर चेतावनी दी
ये खबर छपी है पंजाब केसरी अखबार में ३०-मार्च-२००९ को, आप भी पढ लीजिये

27 March 2009

ताऊ की पहली ठगी

जैसा कि आपको पता है कि अपना ताऊ बहुत ही सरल,सीधा, दिल का साफ मगर होशियार आदमी है। आप ये भी जान चुके हैं कि ताऊ कभी-कभी ठगी जैसे गलत-शलत धंधे भी मजबूरी में कर लेता है मगर क्या आप ये जानते हैं कि ताऊ ठग कैसे बना ? ताऊ की पहली ठगी कौन सी थी ? ये बात भी मुझे बीनू ने स्कूल के दिनों में बताई थी।
हुआ ये कि ताऊ के सीधेपन का फायदा गाम में सब उठाते थे। ताऊ तो पूरे गाम के बालकां नै रोहतक के गुलाब आले की रेवडी, सीताराम हलवाई की बरफी, आनन्द का गाजरपाक, अर गज्जक, कुल्फी, टोफी बेराना के के बांटे जाया करता आहा के दिन थे वे भी, मनै तो ताऊ सब तै पहलां दिया करता। गाम मै किसे नै भी कोई जरूरत होती, ताऊ मना नही करता था। लेकिन मुश्किल या थी के लोग ताऊ पै उधार तै ले जाते पर वापिस नही करते इब ताऊ किमै बानिया तै था नही के बही-खाते राखता, अर ना किसी से अपने पैसे वापिस मांगता था । जिसकी वजह से ताऊ के पास कभी-कभी रुपयों-पैसों की किल्लत जाती थी एक बार ताऊ धोरै किमै रुपये पैसा कि किल्लत हो रही थी। और बीनू नै ताई से जिद लगा ली कि मैं तो गुलगुले खाऊंगा ताई बोली बेटा बनाऊं सूं तो भाईयो ताई गुलगुले बनान लागी तो देखा रसोई महै गुड खत्म हो गया है। ताई नै ताऊ तै कही गुड ले आओ। ताऊ पहुंचा पंसारी बानिया की दुकान पर।
ताऊ - लाला एक भेल्ली गुड दे दे
लालाजी - ताऊजी एक के दो ले जाओ
ताऊ - पर लाला मेरे धोरै आज दाम कोन्या, बाद में दे दूंगा
लालाजी - अड मखा ताऊजी या भी किमै बात कही, कोये बात ना, पिस्से कित जां सैं, आजांगें मनै के आपसे पिस्से मांगे सै
ताऊ - कितने की भेल्ली सै लालाजी
लालाजी - ताऊजी थारे तै के ज्यादा लूंगा, ढाई रुपये की बेचूं सूं , पर आपको तो दो रूपये की दूंगा
ताऊजी एक भेल्ली गुड ले कर चल पडे। रास्ते में उनकी आदरणीय समीर जी से मुलाकात हो गई।
समीर जी - ताऊ जी राम-राम
ताऊ - राम-राम भाई उडनतश्तरी, और सुना के हाल-चाल सैं, कित उडारी ले रहया सै
समीर जी - बहुत बढीया ताऊजी, आप सुनाओ के-के सौदा-सुल्फा ले आये बाजार से
ताऊ - भाई के लाना है, बालक गुलगुले खान की जिद कर रहे थे, गुड लाया सूं तेरी ताई बना देगी
समीर जी - ताऊ जी कितने की लाये या गुड की भेल्ली
ताऊ - दो रूपये की दी सै लाला नै
समीर ज़ी - ताऊजी लाला ने तो आपको ठग लिया, ये एक रुपये की आती है
ताऊ - कोये बात ना भाई, एक रूपया लाला नै कमा लिया अर एक रूपया मनै कमा लिया
समीर जी - वो कैसे ?
ताऊ - देख भाई लाला नै एक रूपये की चीज दो रूपये मै बेची, एक रुपया कमाया
समीर जी - ठीक
ताऊ - मैं एक रूपये की चीज का एक रूपया भी ना दूं तो एक रूपया मनै कमाया, समझ गया ना ?

ताई अर मोड्डा

आज आपने हम सबके प्यारे ताऊ जी और मोड्डे वाली बात सुनी। लेकिन ताऊ जी को याद नही है कि उन्होंने काफी समय पहले भी इसी मोड्डे को खाना खाने का न्योता दिया था। ताऊ इस मोड्डे को पहचान नही पाये क्योंकि एक तो कई साल पुरानी बात है और उस समय ये मोड्डा मोटा-तगडा हुआ करता था। इसी घटना के बाद ताऊ को मोड्डों से थोडी चिढ सी हो गई थी। अब इस मोड्डे के मरियल हो जाने का भी यही कारण है कि ये शुरू से ही बहुत पेटू है और इसी वजह से लोगों ने इसे न्योता देना छोड दिया।
ये बात मुझे बीनू फिरंगी ने बताई थी, जब मैं और बीनू एक ही स्कूल में पढते थे। लो जी आज आप भी सुन लो, मुझे तो ताई का कोई डर है नही क्योंकि सच बोलने वाले को काहे का डर और ताई को गुस्सा आया तो उतरेगा बीनू पर । मेरा और बीनू का बचपन का हिसाब भी बाकी है वो भी चुकता हो जायेगा ।
हुआ यूं कि एकबार ताऊ ने इस मोड्डे को खाने पर बुलाया। ताई ने पूरी हलवा और खीर बनाई थी। ताई खीर बहुत स्वादिष्ट बनाती है और जिस दिन खीर बनती है सब के मुंह में सुबह से ही पानी आने लगता है। बामन महाराज समय से आ गये, ताऊ-ताई ने नमस्कार किया, आसन पर बिठाया, थाली लगा दी गई, एक बेल्ला (बडा कटोरा) खीर का रख दिया और मोड्डे जी ने जीमना शुरू किया। मोड्डे ने ऐसी खीर पहली बार खाई थी।
मोड्डा - जजमान थोडी खीर और ले आओ ।
ताऊ जी ने एक बडा कटोरा खीर और रख दी।
ताऊ नै पूछा महाराज और क्या लोगे।
मोड्डा- खीर
ताऊ ने एक बडा कटोरा खीर और रख दी।
मोड्डा - खीर बहुत अच्छी बनी है, थोडी और ले आओ
ताऊ ने एक कटोरी खीर और डाल दी
अन्दर रसोई बीनू भी उधम मचाये था कि ताई मुझे मेरी कटोरी खीर जल्दी दो। ताई उसे समझा रही थी कि पहले बामन महाराज ज़ीम लें उसके बाद दूंगी । । ताई सोच रही थी, अब तो बस तीन कटोरी खीर हम तीनों (ताऊ-ताई और बीनू) के लिये ही बच गई है। हम तीनों एक साथ बैठ कर खायेंगें ।
उधर मोड्डे ने ताऊ से और खीर लाने की फरमाईश कर दी। अब बामन महाराज को क्या कहें, ताऊ ने अपने हिस्से की कटोरी ले जाकर ताऊ के सामने रख दी। ताऊ ने सोचा अब तो यो मोड्डा छिक गया होगा। पर ये मोड्डा भी खली के गाम से आया लागै था ।
मोड्डा - थोडी सी खीर और मिल सकती है ?
ताऊ - महाराज आप हलवा या पूरी कुछ और ले लो।
रसोई में ताई (ताऊ से) - इस बामन का तै पेटा-ए ना भरता, और कितना खा-गा ?
अब ताई ने अपनी कटोरी भी ताऊ को दे दी कि जाओ बामन महाराज को मना करना ठीक नही है। और रोते हुए बीनू को समझा रही है कि बस अभी दो मिनट और ठहर जा अभी दे देती हूं।
वो खीर भी खा चुकने के बाद मोड्डा - थोडी सी कसर बाकी रहगी, जै जरा सी खीर और मिल जाती…………?
इब बिचारी भोली ताई आखिरी बची बीनू की खीर की कटोरी भी देन लागी।
इब बीनू के सब्र का बांध भी टूट लिया था, उसने भी फाफट (रोना-चिल्लाना) मचा दिये ।
बीनू - मैं नहीं दूंगा मेरी खीर, मेरी खीर की कटोरी वापस दो
ताई दुखी हो कर जोर-जोर से बामन को सुनाते हुए बोली- बीनू चुप हो जा वरना इस खीर मैं लपेट कै मोड्डे के आगै गेर दूंगी, तनै बेरा है ना वो कितना खा सकै है।

26 March 2009

ताई री ताई तेरी खाट तलै बिलाई

एक बै एक ताई की ताऊ गेला लडाई होगी। ताई बोली मैं तो अपने भतीजे धोरै दिल्ली जाऊंगी, मनै दिल्ली छोड्या। ताऊ बोला यो ले भाडा, जब लडाई कर कै जावै सै तै अपने आप चाली जा, मैं नही छोड कै आया करदा। ताई भी घणी छोह मै थी चाल पडी एकली। बसअड्डे पै जा कै बस की बाट (इंतजार) देखन लाग्गी। जो भी बस आवै ठसा-ठस भरी। खैर घणी वार घाम मै खडी-खडी दुखी होगी तै एक बस मै पाछले दरवाजे तै चढी बस कण्डकटर तै पूछा अक या बस दिल्ली जावै गी। कण्डकटर बोला- हां ताई जावैगी। ताई- तै नू कर एक टिकट दे -दे अर सीट दे-दे कण्डकटर नै टिकट तो दे दी अर नूं बोला ताई सीट दिवान की जिम्मेदारी मेरी कोन्या, अपने-आप बूझ ले कोये सरकता हो तै बैठ जाईये। इब ताई बैठे हुवा तै कहवै आरे भाई थोडा सा सरक ले नै मैं भी बैठ जांगी। पर कोये ना सरकै, सब नू कह देवै अक ताई आगे नै होले म्हारे धोरै जगहा कोन्या। नू करते-करते ताई आगे-आगे होती-होती ड्राईवर के धोरै पहोंचगी। ड्राईवर बोला ताई दुखी हो री सै तै नू कर इस बोनट पै बैठ जा। ताई बिचारी बोनट पै बैठगी थोडी हाण (देर) मैं बहादरगढ आगया अर उडे तै एक सुथरी सी छोरी आगले गेट महै तै बस मै चढी। उसके चढते ही आस-पास की सीटां पै बैठे छोरे सरकन लाग्गे अर नूं कहवै मैडम यहां जाओ-मैडम यहां जाओ उस छोरी नै तुरंत बैठन की जगहा मिलगी अर वा राजी होगी। इब ताई यो सब देखन लाग री थी। ताई बोली - हो ले बेटी राजी और १०-१५ साल बाद तन्नै भी इस्से ताते (गर्म) बोनट पै बैठना पडैगा।
खैर ताई दिल्ली पहोंचगी अर बस महै तै उतर कै सडक पार करन लाग्गी। चौक पै खडे सिपाही नै देखा ताई तै अपनी धुन महै चाली जा सै अर नू भी ना देखती हरी बत्ती हो री सै, कोये गाड्डी टक्कर मार जागी। वो सीटी बजाण लाग गया अक ताई रुक जा ताई क्यां नै रूकै थी ताई तै सहज सहज चालती रही वो सिपाही भाज कै ताई धोरै गया अर नूं बोल्या - ताई मनै कितनी सीटी बजा ली तू रूकती क्यूं ना। ताई बोली- बेटा किसा मजाक करै सै, मेरी या उम्र के सीटियां तै रूकन की सै, अपने जमाने महै तो मै एक सीटी पै रूक जाया करती थी।
इब ताई आगै गई तै एक गली मै बालक पटाखे-आतिशबाजी चलान लाग रह्ये थे। बालकां नै देखा जित उननै हांडीफोड (सूतली बम) धर राखा सै, उधर से ही एक बुढिया रही है बालक दूर तै बतान खातर चिल्लान लाग्गे- ताई बम, ताई बम, ताई बम। ताई नै सुना अर बोली- बेटा इब किसे बम्ब, बम्ब तै मै ३५ साल पहलां होया करदी।

ताऊ के ठुमके

करीब दो साल पहलां इस हरियाणवी म्यूजिक एलबम नै समूचे हरियाणा मैह धूम मचा दी थी। विडियो किमै आच्छा नही है, लेकिन गायक की आवाज और बोल मजेदार हैं। आपने ना सुना हो तो सुन लीजिये और देख लीजिये हरियाणवी जिंगगडों का डांस, जिंगगड का मतलब ताऊ या भाटिया जी बता देंगें