एक बै एक ताई की ताऊ गेला लडाई होगी। ताई बोली मैं तो अपने भतीजे धोरै दिल्ली जाऊंगी, मनै दिल्ली छोड्या। ताऊ बोला यो ले भाडा, जब लडाई कर कै जावै सै तै अपने आप चाली जा, मैं नही छोड कै आया करदा। ताई भी घणी छोह मै थी चाल पडी एकली। बसअड्डे पै जा कै बस की बाट (इंतजार) देखन लाग्गी। जो भी बस आवै ठसा-ठस भरी। खैर घणी वार घाम मै खडी-खडी दुखी होगी तै एक बस मै पाछले दरवाजे तै चढी । बस कण्डकटर तै पूछा अक या बस दिल्ली जावै गी। कण्डकटर बोला- हां ताई जावैगी। ताई- तै नू कर एक टिकट दे -दे अर सीट दे-दे । कण्डकटर नै टिकट तो दे दी अर नूं बोला ताई सीट दिवान की जिम्मेदारी मेरी कोन्या, अपने-आप बूझ ले कोये सरकता हो तै बैठ जाईये। इब ताई बैठे हुवा तै कहवै आरे भाई थोडा सा सरक ले नै मैं भी बैठ जांगी। पर कोये ना सरकै, सब नू कह देवै अक ताई आगे नै होले म्हारे धोरै जगहा कोन्या। नू करते-करते ताई आगे-आगे होती-होती ड्राईवर के धोरै पहोंचगी। ड्राईवर बोला ताई दुखी हो री सै तै नू कर इस बोनट पै बैठ जा। ताई बिचारी बोनट पै बैठगी । थोडी हाण (देर) मैं बहादरगढ आगया अर उडे तै एक सुथरी सी छोरी आगले गेट महै तै बस मै चढी। उसके चढते ही आस-पास की सीटां पै बैठे छोरे सरकन लाग्गे अर नूं कहवै मैडम यहां आ जाओ-मैडम यहां आ जाओ । उस छोरी नै तुरंत बैठन की जगहा मिलगी अर वा राजी होगी। इब ताई यो सब देखन लाग री थी। ताई बोली - हो ले बेटी राजी और १०-१५ साल बाद तन्नै भी इस्से ताते (गर्म) बोनट पै बैठना पडैगा।
खैर ताई दिल्ली पहोंचगी अर बस महै तै उतर कै सडक पार करन लाग्गी। चौक पै खडे सिपाही नै देखा ताई तै अपनी धुन महै चाली जा सै अर नू भी ना देखती हरी बत्ती हो री सै, कोये गाड्डी टक्कर मार जागी। वो सीटी बजाण लाग गया अक ताई रुक जा । ताई क्यां नै रूकै थी ताई तै सहज सहज चालती रही । वो सिपाही भाज कै ताई धोरै गया अर नूं बोल्या - ताई मनै कितनी सीटी बजा ली तू रूकती क्यूं ना। ताई बोली- बेटा किसा मजाक करै सै, मेरी या उम्र के सीटियां तै रूकन की सै, अपने जमाने महै तो मै एक सीटी पै ए रूक जाया करती थी।
इब ताई आगै गई तै एक गली मै बालक पटाखे-आतिशबाजी चलान लाग रह्ये थे। बालकां नै देखा जित उननै हांडीफोड (सूतली बम) धर राखा सै, उधर से ही एक बुढिया आ रही है । बालक दूर तै बतान खातर चिल्लान लाग्गे- ताई बम, ताई बम, ताई बम। ताई नै सुना अर बोली- बेटा इब किसे बम्ब, बम्ब तै मै ३५ साल पहलां होया करदी।
खैर ताई दिल्ली पहोंचगी अर बस महै तै उतर कै सडक पार करन लाग्गी। चौक पै खडे सिपाही नै देखा ताई तै अपनी धुन महै चाली जा सै अर नू भी ना देखती हरी बत्ती हो री सै, कोये गाड्डी टक्कर मार जागी। वो सीटी बजाण लाग गया अक ताई रुक जा । ताई क्यां नै रूकै थी ताई तै सहज सहज चालती रही । वो सिपाही भाज कै ताई धोरै गया अर नूं बोल्या - ताई मनै कितनी सीटी बजा ली तू रूकती क्यूं ना। ताई बोली- बेटा किसा मजाक करै सै, मेरी या उम्र के सीटियां तै रूकन की सै, अपने जमाने महै तो मै एक सीटी पै ए रूक जाया करती थी।
इब ताई आगै गई तै एक गली मै बालक पटाखे-आतिशबाजी चलान लाग रह्ये थे। बालकां नै देखा जित उननै हांडीफोड (सूतली बम) धर राखा सै, उधर से ही एक बुढिया आ रही है । बालक दूर तै बतान खातर चिल्लान लाग्गे- ताई बम, ताई बम, ताई बम। ताई नै सुना अर बोली- बेटा इब किसे बम्ब, बम्ब तै मै ३५ साल पहलां होया करदी।
आज के होग्या भई तेरे. कभी ताऊ नै नचाण लागरे हो कभी ताई की खाट खडी करण लागरे हो?:)
ReplyDeleteरामराम.
अरै... वाह रै छोरे... मजा आग्या तेरे धौरै आकै तो... बस्स नयूए लपेट्या जा.. ताई-ताऊ नै...
ReplyDeleteअरे छोरे अगर ताई ने यह लेख पढ लिया तो तेरी खाट जरुर खडी कर देगी,वेसे बम्ब हो लडके असली बम को कह रहे थे, ताई को अपनी जवानी याद आ गई....
ReplyDeleteताई तो हमेशा के लिये ही बम है |
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