31 December 2013

Cricket

Not मारो, Yes करो, खाई, लगाई
आज इतना ही क्रिकेट है मेरे भाई

07 December 2013

जादुई जुमला - "या तै नूएं चाल्लैगी"

कुछ साल पहले आमिर खान अभिनीत "3 इडियट" मूवि आई थी। इसमें आमिर खान एक जुमला "All is Well" पेश करते हैं। दिखाया गया है कि तनाव में, दर्द में, तकलीफ में, उदासी में, क्रोध में या नकारात्मक मानसिक स्थिति में भी इस वाक्य को दोहराने से राहत का अहसास होता है।

ऐसा ही एक वाक्य हरियाणवी ट्रकों या गाडियों के पीछे लिखा मिलता है। "या तै नूएं चाल्लैगी" इसे आप "All is Well" का हरियाणवी वर्जन कह सकते हैं। आमतौर पर ट्रकों आदि के पीछे इसे लिखने का उद्देश्य इतना ही है कि पीछे आ रहा ट्रैफिक ट्रक ड्राईवर की स्पीड, साईड ना देने या ड्राईविंग स्किल्स से खीजने के बजाय, इसे पढ कर समझ जाये कि "ये गाडी वाला ऐसे ही चलेगा"।

तो अब आपको रोजमर्रा की छोटी-छोटी बातों, तकलीफों से बिल्कुल तनावग्रस्त या परेशान होने की जरुरत नहीं है। इस सांत्वना देने वाले जादुई जुमले का प्रयोग कीजिये और इस हरियाणवी तुकबंदी का आनन्द लीजिये।

महंगाई की मार, बढता भ्रष्टाचार
मिली-जुली सरकार - या तै नूएं चाल्लैगी

सास-बहू का झगडा, बालकां का लफडा
पडोसियां का रगडा - या तै नूएं चाल्लैगी
बिजली की दिक्कत, पानी की किल्लत
पैट्रोल की कीमत - या तै नूएं चाल्लैगी
 रिजर्वेशन म्है वेटिंग, छोरे-छोरियां की डेटिंग
छुटभईयों के सेटिंग, धोनी की बैटिंग
और जुल्फां की कटिंग - या तै नूएं चाल्लैगी

व्यापार में मंदा, जागरण का चंदा
धर्मगुरुओं का धंधा - या तै नूएं चाल्लैगी
 स्कूल में एडमिशन, कॉन्ट्रैक्ट में कमीशन
सम्मेलन की परमिशन - या तै नूएं चाल्लैगी
 
सरकारी काम, सडक पे जाम
सब्जियां के दाम - या तै नूएं चाल्लैगी
 
 
 
बान्दरां की फौज, कुत्तां की मौज
खरचां का बोझ, अर म्हारी खाली गोझ - या तै नूएं चाल्लैगी

05 September 2013

शिक्षक दिवस हंसगुल्ले स्पेशल

मास्टर जी - कोई रोमांटिक शेर सुनाओ, मेरा मतलब आशिकी वाला
फत्तू - मोटा मरता मोटी पे, भूखा मरता रोटी पे
मास्टर जी की दो बेटी, पर मैं मरता हूँ छोटी पे
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एक जंगली आदिवासी क्षेत्र में नये अध्यापक की पोस्टिंग हुई।
अध्यापक ने कक्षा से पहला सवाल पूछा - पहले वाले अध्यापक कैसे थे।

कक्षा में सभी एक साथ होंठों पर जीभ फेरते हुये - स्वादिष्ट!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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प्राध्यापक - अगर सच्चे मन से प्रार्थना की जाये तो, भगवान जरूर पूरी करते हैं
एक छात्र - रहन दो मास्टरजी, गर इस्सा होता तै आज आप मेरे ससुर जी होते
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मास्टरजी - दुनिया गोल है
फत्तू - लेकिन पिताजी तो कहते हैं कि दुनिया बडी कमीनी है
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अध्यापिका - सोच और वहम में क्या फर्क है
फत्तू चौधरी - आप बहोत सैक्सी सो, या म्हारी सोच सै और हम अभी बच्चे हैं ये आपका वहम है
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ट्यूशन टीचर - अबे गधे होमवर्क क्यूं नहीं करता है तू
आज के छात्र - तमीज से बात करो मास्टर, कस्टमर से ऐसे बात करते हैं क्या
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24 June 2013

केदारनाथ आपदा पर........

पानी की बोतल 100 रुपये की, बिस्कुट के पैकेट 50 रुपये का बेचा जा रहा है। ना बेचें तो क्या करें वहां के बाशिंदे। उनका भी घर-बार उजडा है। इसी यात्रा के 2-3 महिनों में थोडा-बहुत कमा कर वो साल भर अपना और अपने बच्चों का पेट पालते हैं। वहां तक सामान और पानी ढोकर ले जाना कोई आसान कार्य नहीं है। हम लोग जाते हैं तो अपना कच्छा भी भारी लगने लगता है, चढते-चढते। हम ये क्यों नहीं सोचते कि पैसा खर्च करके कम से कम पानी-बिस्कुट मिल तो रहा है, वर्ना ये लोग इस लालच में वहां पानी लेकर ना जायें तो प्यास से भी तो मरोगे। वो लोग ना बेचें तो इनके बच्चे मरेंगे, घर-दुकान तो पहले ही डूब चुके हैं। घोर विपत्तियां जब आती हैं तो आदमी में स्वार्थपन की भावना प्रबल हो जाती है।   

भारत के कितने ही मन्दिरों, धर्मगुरुओं और मठों के पास बेहिसाब सम्पत्ति, टनों सोना और लाखों करोडों पैसा है। लेकिन किसी मठ, मन्दिर ट्रस्ट या धर्मगुरु ने केदारनाथ में आई आपदा के लिये सहायता उपलब्ध करवाई है या मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिये चंदा देने की घोषणा की है???

16 March 2013

एक कमरे में दो औरतें चुप बैठी हैं

असंभावित :
एक कमरे में दो महिलाएं बैठी हों , और दोनों चुप हों।
ऊपर की पंक्तियां डॉ० तारीफ दराल जी का फेसबुक अपडेट है। ज्यादातर ने कहा कि दोनों गूंगी हो तो ऐसा संभव है। लेकिन मेरा नजरिया कुछ दूसरा था। ऐसा संभव हो सकता है और मैनें वहां ये टिप्पणी की - "संभव है जी, ये दोनों सास-बहू हैं और पिछले 4 घंटे से आंगन में लडाई करके अब कमरे में पंखे के नीचे हवा खाने और सुस्ताने बैठ गयी हैं थोडी देर के लिये"  
खैर बातों-बातों में एक चुटकुला याद आ गया। आपने सुना भी हो तो दोबारा मुस्कुरा लें (होलियाना मूड है भई)
एक आदमी की चार बेटियां थी और चारों गूंगी नहीं तोतली थी। चारों लडकियों की उम्र शादी लायक हो गई थी, लेकिन उनके तुतलाने के कारण किसी का भी रिश्ता नहीं हो पा रहा था। एकबार कहीं दूर से मुश्किल से एक रिश्ता आया। संदेश आया कि फलाने दिन आपकी बेटियों को देखने के लिये लडकों की माता जी आ रही हैं। मां-बाप ने चारों बेटियों को खूब अच्छी तरह से समझाया कि किसी को कुछ भी बोलना नहीं है, जो लडकी चुप रहेगी उसी की शादी होगी। जो भी जवाब देना होगा गर्दन हिला कर दे देना। बाकि हम संभाल लेंगे। 
नियत दिन लडके वाले आये। उन्होंने लडकियों से खाना, सीना, पिरोना आदि सवाल किये तो लडकियों ने चुपचाप उनके सामने ही कार्य करके दिखा दिये। खाना परोसा गया, लडकों की माता जी के सामने लडकियां खाना परोस रही थी। 
बडी लडकी जिसने खाना बनाया था, अचानक पूछ ही लिया - "माता जी त्या थीर थ्वाद बनी है?" (माता जी क्या खीर स्वाद बनी है?)
दूसरी लडकी - "थ्वाद है, तभी तो लबड-लबड खा रही है"
तीसरी लडकी - "मां ने त्या तहा था? हमें तुप रहना है, बोलना नहीं है"
चौथी लडकी - "तुम तीनों बोल तुकी, पल मैं नहीं बोली। अब तो मेली शादी होगी, तुम्हाली नहीं"  
आगे क्या हुआ होगा आप अंदाजा लगा सकते हैं।

 

14 March 2013

गूगल रीडर बंद हो जायेगा

गूगल ने घोषणा की है कि 01 जुलाई 2013 के बाद गूगल रीडर की सेवायें बंद हो जायेंगी। कम्पयूटर, लैपटाप या फोन सभी डिवाईसेज में, मैं तो सभी ब्लॉग पोस्ट गूगल रीडर में ही पढता हूं।

क्या विकल्प होगा? कैसे पढने को मिलेंगी अपने पसन्दीदा ब्लॉगर्स की पोस्ट? शायद आऊटलुक या मेल में फीड लेनी होगी, लेकिन रीडर जैसा आनन्द नहीं आ पायेगा।

09 January 2013

कवि सम्मेलन का विशेष परफार्मर

 
Swami Parkash Yatri Ji (P.N. Shukla) from Kanpur
 
Sampla Sanskrutik Manch

 
Akhil Bhartiya Hasya Kavi Sammelan 29-12-2012


08 January 2013

पद्मसिंह जी की शानदार दो पारी

मुख्यातिथि डॉo टी एस दराल जी की शानदार हास्य कविताओं से सांपला निवासी गद्गद हो गये थे। उनका हृदय से आभार कि उन्होंने अपना अमूल्य समय और रचनायें हमें समर्पित की। 

ठाकुर पद्मसिंह जी के साथ 26-27 दिसम्बर को कार चलाते हुये दुर्घटना हो गयी थी। उनका सिर कार के शीशे पर टकराया था और कार तो बुरी तरह से डैमेज हो गयी थी। फिर भी श्री पद्मसिंह जी अपना आराम छोडकर मेरे बुलावे पर दौडे आये। उम्मीद थी कि हिन्दी के कुछ ब्लॉगर मित्र भी उनके साथ आयेंगें, लेकिन सबकी अपनी दूरियां और मजबूरियां होती हैं। हालांकि सांपला पहुंचने पर भी पद्मसिंह जी का सिर कुछ भारी-भारी था, लेकिन हमारी मोहब्बत में उन्होंने अपनी पीडा को नजर अंदाज कर दिया। पद्मसिंह जी चाय भी नहीं पीते हैं और मुझे चिंता हो रही थी कि कैसे इन्हें कुछ जलपान के लिये राजी करूं, ताकि सफर की थकान से भी थोडी राहत मिले।
पद्मसिंह जी ने पिछले वर्ष भी सांपला सांस्कृतिक मंच के आयोजन में अपनी एक पाती सुनाई थी और जिसे सांपला निवासियों ने खूब सराहा था। इस बार भी हमने पद्मसिंह जी से आग्रह करके उन्हें दो-दो बार मंच पर कविता पाठ के लिये मजबूर कर दिया। हम माफी चाहते हैं कि उस समय हम उनकी दुर्घटना वाली बात को भूल गये थे। पद्मसिंह जी ने गजल, हास्य व्यंग्य कविता और पाती सुनाकर  श्रोताओं का दिल जीत लिया। तालियों की गडगडाहट से आप अंदाज लगा सकते हैं। मुझे तो "वक्त जालिम है बेशर्म जिन्दगी" और "पाती के संग बहते आंसू" दोनों इस सम्मेलन की बेहतरीन रचनायें लगी। प्रस्तुत है ठाकुर पद्मसिंह जी की दोनो पारियों के वीडियो क्लिप (ऑडियो-वीडियो की निम्न क्वालिटी के लिये क्षमाप्रार्थी हूं)






05 January 2013

डॉo टी एस दराल जी की प्रस्तुति

नीरज जाट जी दिल्ली से सांपला तक साईकिल पर पहुंचे। डॉo टी एस दराल जी इस कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि थे और ठाकुर पद्मसिंह जी कविमण्डली में शामिल थे।  29-12-2012 को सांपला सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित तीसरा अखिल भारतीय आप सबके आशिर्वाद, मंच सदस्यों के सहयोग और कवियों की प्रस्तुति से सुपरहिट रहा। शाम 7:30 बजे से रात 3:00 बजे तक ठंड में श्रोताओं का कुर्सियों पर जमे रहना इस कार्यक्रम को सफलता प्रदान करता है। दुर्भाग्य से इस बार भी रिकार्डिंग में वीडियो और ऑडियो क्वालिटी अच्छी नहीं है फिर भी  प्रस्तुत है डॉo टी एस दराल जी द्वारा हास्य व्यंग्य कविताओं की फुलझडियां