24 June 2013

केदारनाथ आपदा पर........

पानी की बोतल 100 रुपये की, बिस्कुट के पैकेट 50 रुपये का बेचा जा रहा है। ना बेचें तो क्या करें वहां के बाशिंदे। उनका भी घर-बार उजडा है। इसी यात्रा के 2-3 महिनों में थोडा-बहुत कमा कर वो साल भर अपना और अपने बच्चों का पेट पालते हैं। वहां तक सामान और पानी ढोकर ले जाना कोई आसान कार्य नहीं है। हम लोग जाते हैं तो अपना कच्छा भी भारी लगने लगता है, चढते-चढते। हम ये क्यों नहीं सोचते कि पैसा खर्च करके कम से कम पानी-बिस्कुट मिल तो रहा है, वर्ना ये लोग इस लालच में वहां पानी लेकर ना जायें तो प्यास से भी तो मरोगे। वो लोग ना बेचें तो इनके बच्चे मरेंगे, घर-दुकान तो पहले ही डूब चुके हैं। घोर विपत्तियां जब आती हैं तो आदमी में स्वार्थपन की भावना प्रबल हो जाती है।   

भारत के कितने ही मन्दिरों, धर्मगुरुओं और मठों के पास बेहिसाब सम्पत्ति, टनों सोना और लाखों करोडों पैसा है। लेकिन किसी मठ, मन्दिर ट्रस्ट या धर्मगुरु ने केदारनाथ में आई आपदा के लिये सहायता उपलब्ध करवाई है या मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिये चंदा देने की घोषणा की है???

13 comments:

  1. @भारत के कितने ही मन्दिरों, धर्मगुरुओं और मठों के पास बेहिसाब सम्पत्ति, टनों सोना और लाखों करोडों पैसा है। लेकिन किसी मठ, मन्दिर ट्रस्ट या धर्मगुरु ने केदारनाथ में आई आपदा के लिये सहायता उपलब्ध करवाई है या मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिये चंदा देने की घोषणा की है???

    बड़ा ही कठोर व्यंग्य....
    एक दम सत्य बात!

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  2. देश के पास धन की कमी कहाँ है, न तन्त्र के पास, न मन्त्र के पास...बस मन ही नहीं होता है...

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    1. किसी की जिन्दगी अंधेरों में डूब जाये तो क्या,
      वो चाहते हैं कि सूरज मेरे घर में ही रहे

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  3. आपकी पोस्ट को कल के ब्लॉग बुलेटिन श्रद्धांजलि ....ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ...आभार।

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  4. जिसके पास होता है वो देना नही चाहता और जो देना चाहता है उसके पास होता नही. दुनियां कुछ इसी तरह चल रही है.

    रामराम.

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    1. देना नहीं चाहते, इसीलिये तो उनके पास है ताऊजी

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  5. उत्क्रुस्त , भावपूर्ण एवं सार्थक अभिव्यक्ति

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    1. हार्दिक आभार, स्नेह बनाये रखियेगा

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  6. सिनेमा जगत और क्रिकेट जगत में भी अरबो रूपये है पर अभी तक .... केदारनाथ में आई आपदा के लिये किसी ने सहायता के लिए कोई कदम नहीं बढाया है !

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    1. जहां आम जनता तक अपनी एक-दो दिन की आय डोनेट कर रही है, वहां बडे-बडे नजरें चुरा रहे हैं, संजय भाई

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  7. कड़वी लेकिन सच पात कही है ...
    सभी बाते संवेदनहीनता से उपजी हैं ... सभी बल्कि पूरा देश ही संवेदनहीन हो रहा है ...

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