26 October 2010

घर पर भी वादे और बाहर भी सिर्फ वादे...


गर्लफ्रेण्ड - मेरी मम्मी को तुम बहुत पसन्द आये हो।
ब्वायफ्रेण्ड - कुछ भी हो, शादी तो मैं तुमसे ही करुंगा। आंटी को कहो मुझे भूल जाये।
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माफिया डॉन की बेटी (फोन पर) - मम्मी, कल मेरी उनसे लडाई हो गयी।
मम्मी - कोई बात नहीं बेटी, हर घर में, मियां-बीवी में झगडे तो होते ही हैं।
बेटी - लेकिन अब लाश का क्या करुं?
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एक जंगली आदिवासी क्षेत्र में नये अध्यापक की पोस्टिंग हुई। अध्यापक ने कक्षा से पहला सवाल पूछा - पहले वाले अध्यापक कैसे थे।

कक्षा में सभी एक साथ होंठों पर जीभ फेरते हुये - स्वादिष्ट!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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पांच साल का फत्तू मिठाई की दुकान पर पहुंचा। वहां काउंटर पर एक युवती बैठी हुई थी।
फत्तू -  मैं आपको कैसा लगता हूं? 
सेल्सगर्ल - बहुत प्यारे।
फत्तू -  तो क्या आप मुझसे शादी करेंगी? 
युवती - जरूर 
फत्तू -  तो अभी अपने होने वाले पति को मिठाई नहीं खिलाएंगी?
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भतेरी अपने पति फत्तू से - सुनो जी, इस बार अगर आपको नौकरी नहीं मिली तो मैं आपको छोड़कर मायके चली जाऊंगी।
फत्तू ने दो चार बार ठंडी आहें भरी और बोला - वादे वादे सिर्फ वादे, घर पर भी वादे और बाहर भी सिर्फ वादे...।
 

19 October 2010

श्री प्रवीण शाह जी ने पूछा है


इसका उत्तर मैं अपने विचार से आखिर में दूंगा, पहले यह कहानी पढिये -
बेटे रोजाना देखते कि पिता हर रोज खाना खाने के बाद दीवार के एक कोने में बने आले के पास जाता है। दरअसल पिता रोजाना खाना खाने के बाद दांतों में फंसे अन्न के कणों को निकालने के लिये एक सींक (लकडी की तीली) का प्रयोग करता था। उसने सींक कोने की दीवार के आले में रख रखी थी। बेटों ने कारण जानने की कभी कोशिश भी नहीं की थी। पिता के गुजरने के बाद बेटे आले को भूल गये और अपने-अपने जीविकोपार्जन में व्यस्त हो गये। समय बीता बेटों ने धन कमाया और घर को नये सिरे से बनवाने की सोची। घर तोडा जा रहा था तो उन्हें उस आले का ख्याल आया। वहां देखा तो एक लकडी की तीली रखी थी। पिता ने बताया नहीं, मगर जरुर यहां पूजा करते होंगें या कुछ तो खास है इसमें। बेटों ने नये घर में भी वैसा ही आला बनवाया और एक चंदन की लकडी की सुन्दर सींक बनवाकर, सुन्दर कपडा बिछाकर वहां रख दी और खाना खाने के बाद आले पर प्रणाम करने लगे। थोडे समय बाद उन्होंने वहां चांदी की सींक बनवाकर रख दी एक ज्योत भी जलाने लगे। बाद में और ज्यादा धन आने पर अलग-अलग घर लेने पर भी सभी बेटों ने अपने-अपने घरों में वैसी ही सोने की तीलियां बनवाकर उनकी पूजा शुरु कर दी। 
अब उनके बच्चे लाख इसके वैज्ञानिक कारण  दें या खोजें। मूल बात तो खो ही गई और अंधश्रद्धा चालू है।
 
हर समाज में जीवन को सुन्दर और खुशहाल बनाने के लिये, दैहिक और आर्थिक आपदाओं से निपटने के लिये आचरण के नियम बनाये गये थे। उनका पालन करवाने के लिये धर्म आदि से जोडकर, थोडा भय भी पैदा किया गया था। हालांकि उस स्थिति, समय और स्थान के लिहाज से जरुर इन सबके वैज्ञानिक कारण रहे होंगें। परन्तु जरुरी नहीं कि वे सभी नियम आज के परिवेश में उतने ही कारगर हों।

मुझे तो लगता है कि ऐसा वही लोग कर रहे हैं, जिन्हें अपने कार्यों, अपने रीति-रिवाजों  पर खुद विश्वास नही है और वे ऐसे कारण खोज-खोज कर और अपने मन-माफिक व्याख्या निकाल कर, जनसहमति पाकर अपने विचारों को ही पुष्ट करने की कोशिश करते हैं। उन्हें खुद भी भरोसा नहीं है, जो वे मानते हैं उस पर। जब वे दूसरे को भी राजी कर लेते हैं, तो थोडा भरोसा आता है।

18 October 2010

क्या गधा, सचमुच गधा होता है?

हरियाणा के रोहतक जिले में एक गांव है "समाल"। दिल्ली-रोहतक लाईन पर इस गांव का छोटा सा रेलवे स्टेशन है "ईस्माइला हरियाणा"। हाँ समाल का यही असली नाम है। यहां पर एक ताऊ रामजी लाल रहता था (असली नाम याद नहीं है)। रामजी लाल के पिताजी पाकिस्तान विघटन के समय पंजाब से यहां विस्थापित हुये थे। रामजी लाल ने  कुछ भैसें खरीदी और दूध का कारोबार शुरु किया।  रामजी लाल के पास 2-3 गधे भी थे। रोजाना सुबह दूध के ड्रम (डिब्बे) गधों पर लादे जाते और गधे अपने आप स्टेशन पर पहुंच जाते। वहां गाडी से आने वाले दूधिये उन डिब्बों को गधों से उतारकर ट्रेन में लेकर दिल्ली सप्लाई कर आते। पूरा दिन गधे वहीं स्टेशन के आस-पास घास चरते रहते और शाम की गाडी के समय स्टेशन पर आ जाते। खाली डिब्बे उनपर लाद दिये जाते और गधे वापिस अपने घर यानि रामजी लाल के घर पहुंच जाते।  ये बात 1972 की हैं, मेरे पिताजी द्वारा मुझे बताई गई हैं। पिताजी के मामाजी "समाल" निवासी थे।Gadha3

अब इस बात से विचार आया कि क्या गधा सचमुच गधा होता है? मेरा मतलब है क्या गधा सचमुच मूर्ख प्राणी होता है? नहीं जी बिल्कुल नहीं।  गधे पंक्ति बना कर चलते हैं, पंक्ति में खडे होते हैं और गंतव्य पर पहुंच कर रुकते हैं।
Gadha1 
आप अपनी गाडी से कहीं जा रहे हैं और आपके रास्ते में कोई गधा खडा हो तो आप लाख हॉरन बजायें बहुत कम मौके हैं कि गधा वहां से हट जाये। आपको गाडी से उतर कर कान पकड कर (अजी अपना कान नहीं,गधे का) उसे धकियाना पडेगा। गधा जब खाली मतलब बिना बोझ के चलता है तो बीच सडक पर चलता है और अगर आपउसपर सवार हो जायें (मैनें करके देखी है जी गधे की सवारी) तो एकदम साईड में चलना शुरु कर देगा। दीवार के साथ-साथ, ताकि आपके घुटने दीवार से रगड खाते रहें और आप  उस पर से उतर जायें। Gadha2उतरते ही फिर सडक के बीच में चलने लगेगा।
मुझे तो देखने में गधा बहुत विचारशील प्राणी दिखता है। कहीं दो-तीन गधों को धूप में खडे देखिये, उनकी आँखें और चेहरा, ऐसा लगता है कि कुछ बुद्धिजीवी काश्मीर मसले या ऐसी ही किसी समस्या पर मंत्रणा या विमर्श कर रहे हों।
"गधा इतना भी गधा नहीं होता" इस विचार को मजबूती प्रदान करता एक आखिरी उदाहरण ये है कि मुझ गधे को पढने के लिये ही आप लोग इस पोस्ट पर आये हैं।
सभी चित्र गूगल से साभार 

16 October 2010

सागर मन्थन से प्राप्त चौदह रत्न

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार सागर मन्थन से प्राप्त चौदह रत्न ये हैं :-

  1. रम्भाimage
  2. विष
  3. कौस्तुभ मणि
  4. लक्ष्मी
  5. मदिरा
  6. ऐरावत
  7. कल्पवृक्ष
  8. शंख
  9. अश्व
  10. कामधेनु
  11. धनुष
  12. औषधि चन्द्रमा
  13. वैद्य
  14. अमृत कलश

15 October 2010

माता कौन पिता कौन

  1. रवि यानि सूर्य के माता पिता का नाम कश्यप और अदिति
  2. सोम के माता पिता का नाम
  3. मंगल की माता का नाम भूमि (विष्णु के पसीने से)
  4. बुध के माता पिता का नाम रोहिणी और चन्द्रमा, बुध की पत्नी इला
  5. गुरु के माता पिता का नाम सुनीमा और महर्षि अंगिरा
  6. शुक्र के पिता का नाम कवि, शुक्र की पत्नी का नाम शतप्रभा
  7.  शनि के माता पिता का नाम छाया और सूर्य
  8. यम और यमुना दोनों के माता पिता का नाम संज्ञा और सूर्य
  9. सूर्य के श्वसुर (संज्ञा के पिता) का नाम विश्वकर्मा

    07 October 2010

    कुछ रोचक बातें

    image पृथ्वी का विनाश 3 सैकिंड से भी कम समय में बच गया था। 30 Oct. 1997 को 5 लाख टन वजनी बुध ग्रह 1 लाख 86 हजार मील/प्रति सैकिंड (प्रकाश की गति) से परिक्रमण करते हुये अपने पथ से थोडा सा परिवर्तित हो जाता तो पृथ्वी विनष्ट हो चुकी होती।

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    विक्रमी संवत उज्जयिनी के सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को पराजित करके भारतीय गौरव की विजय की स्मृति में चलाया था। 20 मार्च 2011 से भारत की 2068 वीं सदी शुरु हो जायेगी।
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    सृष्टि की रचना हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा जी ने आज से 1 अरब 97 करोड 29 लाख 49 हजार 110 वर्ष पहले की थी।
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    भारत में इस समय करीबन 236004 गांव, 3742 जातियाँ, 1652 भाषायें, 190 धर्म, 28 राज्य और 7 केन्द्रशासित प्रदेश हैं। भारत की राजधानी दिल्ली को मिलाकर 29 राज्य कहे जाते हैं। 
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    लंकापति रावण के माता-पिता विश्रवस तथा कैकसी थे। विश्रवस के पिता ॠषि पुलस्त्य और कैकसी के पिता राक्षसराज सुमाली थे।
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    रुपवान साम्ब श्रीकृष्ण जी के पुत्र का नाम  था।
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