इस पोस्ट से अगर किसी की भावनाओं को आघात पहुँचता है तो पोस्ट क्षमायाचना सहित हटा दी जायेगी। अगर आपने तारीफ में टिप्पणियां कर दी तो आगे पूरी रामायण इसी प्रकार गीतमाला रिमिक्स करके सुनाई जायेगी। कृप्या सोच-समझ कर टिप्पणी करें।
![]() |
चित्र गूगल से |
तुझे सूरज कहूं या चंदा, तुझे दीप कहूं या तारा मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा मैं कब से तरस रहा था, मेरे आंगन में कोई खेले नन्हीं सी हंसी के बदले, मेरी सारी दुनिया ले ले तेरे संग झूल रहा है, मेरी बांहों में जग सारा मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा |
---|
थोडा बडा होने पर राम और लक्ष्मण को अस्त्र-शस्त्र विद्या और शिक्षा आदि के लिये गुरुकुल भेजने की तैयारी होती है। भरत और शत्रुघ्न दो बच्चे अपनी नानी के यहां रहकर अपनी शिक्षा-दीक्षा पूरी करने जाते हैं। राजा दशरथ राम को अपने से दूर करना नहीं चाहते, लेकिन शिक्षा तो जरुरी है और उस समय में घर से दूर गुरुकुल में रहकर ही अध्ययन करना होता था। राजा दशरथ का उदास दिल फिर से गा उठता है -
कल तू चला जायेगा तो मैं क्या करूंगा तू याद बहुत आयेगा तो मैं क्या करूंगा छोड जायेगा यहां तू कई कहानियां उम्र भर रुलायेंगी ये तेरी नादानियां |
---|
राम-लक्ष्मण की शिक्षा वन में स्थित गुरुजी के आश्रम में होती हैं। वहां राम-लक्ष्मण गुरुजी और साधुओं को तंग करने वाले आतताईयों को मारकर, खदेडकर अपनी वीरता और साहस का परिचय देते हैं। कई वर्षों के विद्याध्ययन के पश्चात गुरुजी उन्हें वापिस उनके महल में छोडने जाते हैं तो रास्ते में एक नगर मिथिला (जनकपुर) में रुकना होता है। वहां एक बाग में घूमते हुये राम और जनकपुर की राजकुमारी सीता की नजरें आपस में मिलती हैं। दोनों एक-दूसरे के आकर्षण में खो जाते हैं।
तुझे देखा तो ये जाना सनम, प्यार होता है दीवाना सनम अब यहां से कहां जाये हम, तेरी बाहों में मर जायें हम |
---|
राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिये स्वयंवर समारोह का आयोजन किया है। गुरुजी भी समारोह में आमंत्रित हैं और इसी स्वयंवर के लिये राम को यहां लाये हैं। राम को सीता से मिलाना ही प्रारब्ध का उद्देश्य है। स्वयंवर की शर्त ऐसी है कि राम ही पूरी कर सकते हैं। सीता और राम का विवाह धूमधाम से हो जाता है।
क्रमश:
पढ़ लिया गया है, दूसरी किश्त पूरी होने पर टिप्पणी होगी।
ReplyDeleteगीत तो सभी अवसरों के लिये बने हैं।
ReplyDeleteहमें तो इसमें कोई बुराई नहीं नजर आती.गीत माला है चलनी चाहिए.
ReplyDeleteबढ़िया है जी.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा पोस्ट है जी !हवे अ गुड डे !
ReplyDeleteMusic Bol
Lyrics Mantra
Shayari Dil Se
Latest News About Tech
अभी तक तो ठीक है लेकिन ध्यान रखना कि आगे की घटनाओं में कोई अश्लीलता या दोहरे अर्थ वाले शब्द प्रयोग ना हों। आखिर बात भारतीय और हिन्दु संस्कृति के मर्यादा पुरुषोत्तम राम की है।
ReplyDeleteहां, अल्लाह पर भी एक गीतमाला होनी चाहिये।
नव वर्ष में हमेशा ये बहार रहे !
ReplyDeleteमेरी शुभ कामना हमेशा ये स्नेह बना रहे !!
jo pujyniy haae unka mjaak n hi banaya jaae to achchha haae
वाह!...क्या आइडिया है सोहिल जी!....आगे आगे लिखते जाइए..बहुत अच्छा लग रहा है!
ReplyDeleteओर आण दो |
ReplyDeleteलोक बोधगम्य बनाना कोई बुरी बात नहीं है। रामायण के साथ ऐसे प्रयोग काल अनुसार होते आए है। पर वे हमारे पूज्य है, अधिक हास्य के प्रलोभन में कहीं फूहड गीत का चुनाव न हो जाय। बस
ReplyDeleteधार्मिक लेख पढ़कर दिल बाग-बाग हो गया।
ReplyDeleteकोटि-कोटि धन्यवाद ऐसा लेख लिखने के लिए।
किसी भी कारण किसी की श्रद्धा का मज़ाक भूल से भी नहीं उड़ाना चाहिए , राम, भारतीय जन मानस में आराध्यदेव हैं वे लाखों लोगों की श्रद्धा के केंद्र हैं और उनसे शक्ति पाते हैं ! इस प्रकार की पोस्ट से किसी भी सरल व्यक्ति का दिल दुःख सकता है , और यह अपराध होगा !
ReplyDeleteअगर मैं तुम्हे व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता होता तो कदापि यह कमेन्ट नहीं लिखता ! यहाँ सब अपनी मर्ज़ी का लिख सकते हैं सो जब भी कंटेंट पसंद नहीं आयें मैं विरोध नहीं करता !
मगर मैं अमित को रोकने का हक़ प्रयुक्त करते हुए इसे कहना चाहूँगा की आगे इस श्रंखला को न छापें !!
सस्नेह
@ आदरणीय सतीश सक्सेना जी नमस्कार
ReplyDeleteअच्छा लगा आपने हक जताया।
आपके हक का सम्मान करता हूँ। आपके आदेश पर अमल होगा।
प्रणाम
आभार अमित !
ReplyDeleteआपके संस्कार बेहतरीन हैं ...आपका व्यवहार आपके बच्चों में परिलक्षित होगा और आप मेरी उम्र में निस्संदेह अधिक आदर पायेंगे !
सस्नेह शुभकामनायें !