04 December 2008

वो मेरे कौन थे

पिछले तीन दिन टेलीविजन पर आतंक का लाइव नंगा नाच देखते हुये पता नही कब बम और गोलियों की आवाज दिल-दिमाग में बैठ सी गई है।कल पडोस में शादी थी। बारात निकल रही थी। गाजा-बाजा, धूम-धडाका और पटाखे भी चलाये जा रहे थे। बिस्तर पर लेटे-लेटे हर पटाखे की आवाज से यूं लगता जैसे बाहर वही गोलीबारी हो रही है। मेरा तो कोई भी नही मरा, कोई भी नही ? नही जो मरे वो मेरे ही थे, मेरे भारत के वासी, मेरे भारत के रक्षक और मेरे भारत के मेहमान ।
सभी हिन्दुस्तानी इसे अपने ऊपर हमला मान रहे हैं। सारा देश एक साथ चीत्कार रहा है ।
फिर भी पता नही क्यूं कुछ रिपोर्टर देश के दुश्मनों को मुम्बई के दुश्मन संबोधित कर रहे हैं । शायद आपने भी सुना हो ।

3 comments:

  1. सोहिल भाई आप की भावना की कदर करते है, आप ने अपने दिल की बात लिख दी.
    धन्यवाद

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  2. आपके जज्बे को नमन ! रामराम !

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  3. दोस्त, रात भर के बुरे सपनों से मैं अब तक दहशत मैं हूँ. यकीन करो...रात टीवी क्या देखा...मेरी तो ऐसी-तैसी हो गई. पूरी रात वही आतंकवाद, खून-खराबा, और गोलियों की आवाजों में बेचैन रहा.
    ---
    जारी रहें.

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