उस अनजाने शहर में कम से कम सौ लोगों से पूछताछ की, जहां तुम पिछली बार रहती थी, किराये पर रहती थी। दर-दर किवाड खटखटाये। कहीं पैदल कहीं रिक्शा में पूरे 4-5 घंटे कुछ सुराग नहीं मिला।
फिर मुन्ना टायर वाले को ढूंढा, दुकान मिली, उसका लडका मिला, घर मिला, फिर मुन्ना मिल गया। बोला तुम्हारे पिताजी एक ठेली पर तुम्हारी मां को डालकर ......मन्दिर पर भिक्षा मांगते हैं। पूरा मन्दिर छान मारा, वहां फैले बीसियों भिखारियों के पास बैठ-बैठ, चाय पिलाकर, पैसे देकर केवल इतनी जानकारी मिली कि कई दिनों से वो दिखाई नहीं दे रहे हैं। आते थे, उनकी छोटी बेटी खाना लेकर भी आती थी। कहां रहते है नहीं पता।
मेरा फूट-फूट कर रोने का मन कर रहा था। शायद इसलिये कि मैं तीन रातों से ढंग से सोया नहीं था और उसदिन सुबह से कुछ खाया भी नहीं
आखिरी उम्मीद बची थी तुम्हारा गांव, जिसका केवल नाम याद था। वहां गया, 50 किमी दूर ही तो है। वहां किसी के पास तुम्हारा कॉन्टेक्ट नहीं मिला। तुम्हारे घर में मां थी, जो कुछ बोल नहीं सकती थी ना लिख पढ सकती थी और एक भतीजी जो केवल 2 साल की थी। एकमात्र उम्मीद तुम्हारी भाभी थी जिससे कुछ पता चल सकता था और भाभी गई थी जंगल में गाय बकरी लेकर, चराने
भाभी का 3 घंटे का इंतजार, तुमसे बिछुडे 13 वर्षों से भी बडा हो जायेगा, नहीं पता था। कभी थोडी दूर तक जंगल में जाना, कभी थक कर बैठ जाना, बस एक घूंट पानी और एक सिगरेट बार-बार, हर बार
हर दिखाई देते शख्स से भाभी के बारे में पूछना, कब तक आयेंगी, कहां होंगी
हर आहट पर समझना कि भाभी आ रही हैं। हर जानवर की झलक को तुम्हारी भाभी की गाय-बकरी जानकर उसकी तरफ़ पीछे आने वाले को पहचानने की कोशिश
उन तीन घंटों में क्या था, क्या फीलिंग्स थी, नहीं पता क्या था वो, कुछ भी नहीं था पर मैं वो तीन घंटे फिर से जीना चाहता हूं।
भाभी से मुलाकात नहीं हुई, पर वहीं एक गुमटी पर बैठी लडकियों से तुम्हारी छोटी बहन का मोबाइल नम्बर मिल ही गया। बात हुई पर उसने तुम्हारा कॉन्टैक्ट नम्बर नहीं दिया, मुझे बुलाया है, वहीं जहां मैं सुबह से खाक छान कर यहां आया हूं।
Now it's not end it's begining.
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (01.05.2015) को (चर्चा अंक-1962)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteआभार
Deleteआह!!
ReplyDeleteअन्तर सोहिल जी,
ReplyDeleteपिताजी भिक्षा मांगते है और छोटी बहन के पास मोबाइल है! सही है, आज के भिखारी भी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने लगे है!!
हां जी और उस छोटी बहन का शादी के बाद एक बच्चा भी है, जो पब्लिक स्कूल में पढता है। उसी शहर में माता-पिता भिक्षा मांगते हैं।
Deleteबहुत खूब। आपका अंदाजे बयां लाजवाब है।
ReplyDelete............
लज़ीज़ खाना: जी ललचाए, रहा न जाए!!
शुक्रिया अर्शिया जी
Deletezindagi me ek bar jarur is post ko padh lena
ReplyDelete