अन्जू ने आम काटते वक्त सरोते से अंगुली ही कटवा ली।
मम्मीजी अपने भतीजे की शादी में गई हैं, दो-तीन दिन में लौटेंगीं
तो अन्जू ने खुद ही अचार डालना चाहा।
अब हर पांच मिनट में अंगुली के दुखने की बात कहती है
(शायद मेरी सहानुभूति पाने के लिये) :)
उठो आज बच्चों को तुम तैयार करो, मेरी अंगुली दर्द कर रही है।
मैनें उर्वशी को जगा कर बाथरूम में भेजा, फिर लक्ष्य को जगाया।
इतनी देर में उर्वशी बाहर वाले बिस्तर पर सो गयी।
उसे जगाया तो लक्ष्य वापिस अन्दर भागने लगा।
किसी तरह दोनों को पकड-खींच कर बाथरूम में ले गया।
लक्ष्य को नहाने के बाद पोटी आई। फिर दोबारा नहलाना पडा।
नहाने के बाद कहता है आज मुझे छुट्टी करनी है।
(मेरे बेटा, तो पहले ही बताना चाहिये ना, अब दो बार नहाने के बाद)
पता नहीं कैसे तैयार करती है अन्जू इन्हें।
मैं कमीज के बटन बंद कर रहा हूं और उर्वशी रिमोट से टीवी के चैनल बदल रही है।
लक्ष्य तो मुझे ही बता रहा है कि बनियान ऐसे पहनाते हैं।
लक्ष्य - "पापा आपको बनियान भी पहनानी नहीं आती है",
"जूते के तस्में पीछे की तरफ बांधियें"
उर्वशी - "पापा ये स्कर्ट की स्ट्रेप कितनी लूज छोड दी आपने",
"पापा शर्ट ऊपर निकली हुई है, नीचे खींचों"
आज पहली बार बच्चों को स्कूल के लिये तैयार करना पडा और आज ही उनकी स्कूल बस छूट गई।
सचमुच पत्नियां कमाल की होती हैं।