मुख्यातिथि डॉo टी एस दराल जी की शानदार हास्य कविताओं से सांपला निवासी गद्गद हो गये थे। उनका हृदय से आभार कि उन्होंने अपना अमूल्य समय और रचनायें हमें समर्पित की।
ठाकुर पद्मसिंह जी के साथ 26-27 दिसम्बर को कार चलाते हुये दुर्घटना हो गयी थी। उनका सिर कार के शीशे पर टकराया था और कार तो बुरी तरह से डैमेज हो गयी थी। फिर भी श्री पद्मसिंह जी अपना आराम छोडकर मेरे बुलावे पर दौडे आये। उम्मीद थी कि हिन्दी के कुछ ब्लॉगर मित्र भी उनके साथ आयेंगें, लेकिन सबकी अपनी दूरियां और मजबूरियां होती हैं। हालांकि सांपला पहुंचने पर भी पद्मसिंह जी का सिर कुछ भारी-भारी था, लेकिन हमारी मोहब्बत में उन्होंने अपनी पीडा को नजर अंदाज कर दिया। पद्मसिंह जी चाय भी नहीं पीते हैं और मुझे चिंता हो रही थी कि कैसे इन्हें कुछ जलपान के लिये राजी करूं, ताकि सफर की थकान से भी थोडी राहत मिले।
पद्मसिंह जी ने पिछले वर्ष भी सांपला सांस्कृतिक मंच के आयोजन में अपनी एक पाती सुनाई थी और जिसे सांपला निवासियों ने खूब सराहा था। इस बार भी हमने पद्मसिंह जी से आग्रह करके उन्हें दो-दो बार मंच पर कविता पाठ के लिये मजबूर कर दिया। हम माफी चाहते हैं कि उस समय हम उनकी दुर्घटना वाली बात को भूल गये थे। पद्मसिंह जी ने गजल, हास्य व्यंग्य कविता और पाती सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। तालियों की गडगडाहट से आप अंदाज लगा सकते हैं। मुझे तो "वक्त जालिम है बेशर्म जिन्दगी" और "पाती के संग बहते आंसू" दोनों इस सम्मेलन की बेहतरीन रचनायें लगी। प्रस्तुत है ठाकुर पद्मसिंह जी की दोनो पारियों के वीडियो क्लिप (ऑडियो-वीडियो की निम्न क्वालिटी के लिये क्षमाप्रार्थी हूं)
नीरज जाट जी दिल्ली से सांपला तक साईकिल पर पहुंचे। डॉo टी एस दराल जी इस कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि थे और ठाकुर पद्मसिंह जी कविमण्डली में शामिल थे। 29-12-2012 को सांपला सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित तीसरा अखिल भारतीय आप
सबके आशिर्वाद, मंच सदस्यों के सहयोग और कवियों की प्रस्तुति से सुपरहिट
रहा। शाम 7:30 बजे से रात 3:00 बजे तक ठंड में श्रोताओं का कुर्सियों पर
जमे रहना इस कार्यक्रम को सफलता प्रदान करता है। दुर्भाग्य से इस बार भी
रिकार्डिंग में वीडियो और ऑडियो क्वालिटी अच्छी नहीं है फिर भी प्रस्तुत
है डॉo टी एस दराल जी द्वारा हास्य व्यंग्य कविताओं की फुलझडियां