इस बार बीनू के मन में विचार आया कि उसे भी चुनाव में पर्चा भर देना चाहिए। जब कुत्तों से भी गये-गुजरे आदमी दिल्ली जा रहे हैं तो कुत्ते क्यों पीछे रह जाएं। फिर बीनू कोई छोटा-मोटा कुत्ता तो था नही, ताऊ का कुत्ता था, एक एम पी का कुत्ता था। दिन-रात नेता जी के साथ रहते-रहते नेता बनने के सारे गुर जैसे कि कैसे लोगों की आंखों में धूल झोंकों, कैसे एक-दूसरे के कंधें पर चढो, सब सीख गया था।
एक दिन उसने ताऊ से कहा - ताऊ जी, अब बहुत हो गया, अब मुझे आशिर्वाद दे दें, मैं भी चुनाव लडूंगा।
ताऊ - के करेगा तू चुनाव लड कै
बीनू - आप देख ही रहे हो कि आपका विरोधी इस बार चुनाव में खडा है वो कुत्तों से भी बदतर आदमी है। मैं भी कुत्तों के अधिकारों के लिये लडूंगा।
ताऊ - तेरी बात तो ठीक सै
बीनू - ताऊजी कुछ रास्ता बता देते, कुछ थोडा ज्ञान दे देते तो आसानी हो जाती।
ताऊ - सीधी बात सै भाई, जिस तरकीब से मैं जीतता रहा, वही तरकीब तू आजमा ले। सुन……………………………………
जब कोये अमीर कुत्ता दिखै तो (कुत्तों में भी अमीर और गरीब होते हैं। अमीर कुत्ता वो होता है जो कारों में चलता है, सुन्दर-सुन्दर कम कपडों वाली औरतों की गोद में बैठता है, शानदार कोठियों में निवास करता है, आम आदमी को रोटी मिले ना मिले उसे बढिया-बढिया पकवान मिलते हैं) जब कोये अमीर कुत्ता दिखै तो कहिये कि "सावधान, गरीब कुत्ते इकट्ठे होन लाग रहे सैं; थारे लिये खतरा है। मैं थारी रक्षा कर सकता हूं। और जब कोये गरीब कुत्ता दिखै तो एकदम कहिये - मर जाओगे, लूटे जा रहे सो, थारा शोषण हो रहा सै। लाल झंडा हाथ में ले लो। मैं थारा नेता सूं, इन अमीरों को ठीक करना जरूरी सै।
बीनू - ताऊजी यहां तक तो ठीक है, पर जब दोनों यानि कि अमीर और गरीब कुत्ते इकट्ठे हो गये तो मैं क्या करूं ?
ताऊ - तो तू नू कहिये मेरा हाथ सब के साथ, मैं सब के उदय में यकीन रखता हूं, सब का विकास होगा । मैं सेकुलर हूं । और सुन जोर तै बोले जाईये, किसी के समझ महै आवै ना आवै, बस चिल्लाना जरूरी है, दूसरां की आवाज दब जानी चाहिये।
बीनू - ताऊ इस बात की चिंता आप ना करें, चिल्लाने (भौंकने) में तो हम कुत्ते नेताओं को मात दे ही देंगें।
बीनू ने काम शुरू कर दिया है, प्रचार जोर-शोर से हो रहा है। सफेद खादी का कुर्ता-पाजामा और टोपी पहने और माथे पर लंबा सा तिलक लगाये बीनू पदयात्रा पर है। रास्ते में किसी भी मन्दिर में माथा टेकना नही भूलता है। चुनाव का दिन आने ही वाला है। आपको क्या लगता है बीनू जीतेगा ???????
एक दिन उसने ताऊ से कहा - ताऊ जी, अब बहुत हो गया, अब मुझे आशिर्वाद दे दें, मैं भी चुनाव लडूंगा।
ताऊ - के करेगा तू चुनाव लड कै
बीनू - आप देख ही रहे हो कि आपका विरोधी इस बार चुनाव में खडा है वो कुत्तों से भी बदतर आदमी है। मैं भी कुत्तों के अधिकारों के लिये लडूंगा।
ताऊ - तेरी बात तो ठीक सै
बीनू - ताऊजी कुछ रास्ता बता देते, कुछ थोडा ज्ञान दे देते तो आसानी हो जाती।
ताऊ - सीधी बात सै भाई, जिस तरकीब से मैं जीतता रहा, वही तरकीब तू आजमा ले। सुन……………………………………
जब कोये अमीर कुत्ता दिखै तो (कुत्तों में भी अमीर और गरीब होते हैं। अमीर कुत्ता वो होता है जो कारों में चलता है, सुन्दर-सुन्दर कम कपडों वाली औरतों की गोद में बैठता है, शानदार कोठियों में निवास करता है, आम आदमी को रोटी मिले ना मिले उसे बढिया-बढिया पकवान मिलते हैं) जब कोये अमीर कुत्ता दिखै तो कहिये कि "सावधान, गरीब कुत्ते इकट्ठे होन लाग रहे सैं; थारे लिये खतरा है। मैं थारी रक्षा कर सकता हूं। और जब कोये गरीब कुत्ता दिखै तो एकदम कहिये - मर जाओगे, लूटे जा रहे सो, थारा शोषण हो रहा सै। लाल झंडा हाथ में ले लो। मैं थारा नेता सूं, इन अमीरों को ठीक करना जरूरी सै।
बीनू - ताऊजी यहां तक तो ठीक है, पर जब दोनों यानि कि अमीर और गरीब कुत्ते इकट्ठे हो गये तो मैं क्या करूं ?
ताऊ - तो तू नू कहिये मेरा हाथ सब के साथ, मैं सब के उदय में यकीन रखता हूं, सब का विकास होगा । मैं सेकुलर हूं । और सुन जोर तै बोले जाईये, किसी के समझ महै आवै ना आवै, बस चिल्लाना जरूरी है, दूसरां की आवाज दब जानी चाहिये।
बीनू - ताऊ इस बात की चिंता आप ना करें, चिल्लाने (भौंकने) में तो हम कुत्ते नेताओं को मात दे ही देंगें।
बीनू ने काम शुरू कर दिया है, प्रचार जोर-शोर से हो रहा है। सफेद खादी का कुर्ता-पाजामा और टोपी पहने और माथे पर लंबा सा तिलक लगाये बीनू पदयात्रा पर है। रास्ते में किसी भी मन्दिर में माथा टेकना नही भूलता है। चुनाव का दिन आने ही वाला है। आपको क्या लगता है बीनू जीतेगा ???????