tag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post4431284099898704915..comments2024-03-09T12:55:18.591+05:30Comments on अन्तर सोहिल = Inner Beautiful: अंधी आँखें गीले सपनेअन्तर सोहिलhttp://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-37582327077409269982010-11-25T16:41:05.332+05:302010-11-25T16:41:05.332+05:30ब्लोगर मिलन की हर बात बहुत ही निराली थी... अंतर सो...ब्लोगर मिलन की हर बात बहुत ही निराली थी... अंतर सोहिल भाई मैंने भी योगेन्द्र मोदगिल जी की पुस्तक को उसी रात पूरा पढ़ कर ही छोड़ा था... बेहतरीन लेखनी है उनकी. यह पंक्तियाँ तो दिल को छू गई... वाह!<br /><br />"हर यार हो दिलदार, जरूरी तो नहीं है,<br />मिलता ही रहे प्यार, जरूरी तो नहीं है।<br />हमको तो ऐब एक है बस प्यार का मियां,<br />वो भी तो करें प्यार, जरूरी तो नहीं है॥"Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-46077318469743044772010-11-24T21:08:34.812+05:302010-11-24T21:08:34.812+05:30वाकई भाई हमें तो बहुत ही मजबूरी थी, पर मलाल तो है ...वाकई भाई हमें तो बहुत ही मजबूरी थी, पर मलाल तो है ही कि एक साथ सबसे मिलने की तमन्ना अधूरी ही रह गयी, पर जीवन में ऐसा भी होता है. प्रणाम.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-38590329973319531192010-11-24T16:44:58.744+05:302010-11-24T16:44:58.744+05:30वाह ये भी बढिया रहा और अभी यहाँ जितने शेर पढे हैं ...वाह ये भी बढिया रहा और अभी यहाँ जितने शेर पढे हैं सभी बेहतरीन हैं।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-60400191502357679562010-11-24T12:52:54.400+05:302010-11-24T12:52:54.400+05:30वो भी मुझ जैसा लगता है ,शीशे में उतरा लगता है ...
...वो भी मुझ जैसा लगता है ,शीशे में उतरा लगता है ...<br />....इसको पानी देना री बहुओ, ये पीपल प्यासा लगता है |.....ये कुछ लाईने है उन्हीं की किताब की है| बहुत बढ़िया किताब उन्होंने भेट की थी | जिसके लिये उनके साथ साथ आप भी धन्यवाद के पात्र है|naresh singhhttps://www.blogger.com/profile/16460492291809743569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-51930930834831497132010-11-24T12:26:11.291+05:302010-11-24T12:26:11.291+05:30रोहतक का प्रकरण जोरदार रहा। आपसे प्रभावित होकर मेर...रोहतक का प्रकरण जोरदार रहा। आपसे प्रभावित होकर मेरी अगली पोस्ट सम्मेलनों पर ही है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-1467484408424479342010-11-24T11:13:24.561+05:302010-11-24T11:13:24.561+05:30आनन्द आ गया था पुस्तक पाकर।आनन्द आ गया था पुस्तक पाकर।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-32664985391991067752010-11-24T05:31:44.288+05:302010-11-24T05:31:44.288+05:30वाकई अनमोल उपहार पाया है आपने, अमित।
बधाई।वाकई अनमोल उपहार पाया है आपने, अमित।<br />बधाई।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-8396927819016100972010-11-23T22:20:57.780+05:302010-11-23T22:20:57.780+05:30बढ़िया.बढ़िया.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-20390704203992743592010-11-23T20:13:29.221+05:302010-11-23T20:13:29.221+05:30आज पढ रही थी योगेन्द्र जी की ये पुस्तक। क्या गज़ब क...आज पढ रही थी योगेन्द्र जी की ये पुस्तक। क्या गज़ब की शायरी है। उनका बहुत बहुत धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-23704787594535537302010-11-23T19:03:44.686+05:302010-11-23T19:03:44.686+05:30वाह क्या कहने ... इतना प्यार पाने के लिए बधाई ...वाह क्या कहने ... इतना प्यार पाने के लिए बधाई ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-3669015822266823342010-11-23T18:25:33.461+05:302010-11-23T18:25:33.461+05:30वाह अमित !
कविवर योगेन्द्र मौदगिल ने यह पुस्तक सभी...<strong>वाह अमित !<br />कविवर योगेन्द्र मौदगिल ने यह पुस्तक सभी को उपहार में दी थी ...मगर मुझे इसकी चर्चा का ध्यान नहीं रहा ! इसका वाकई खेद है ! अगर वे न होते तो यकीनन हम उतना हंस नहीं पाते ! उनके कारण यह मिलन यादगार रहेगा ! शुभकामनायें ! </strong>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8024454375271047452.post-23730441634511788662010-11-23T18:24:58.965+05:302010-11-23T18:24:58.965+05:30This comment has been removed by the author.Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com