28 November 2011

फार्मूला नम्बर 45 क्या है?

आधे रास्ते में गाड़ी रोक कर साले तमाशा करने लगे। बस फ़िर अपन ने अपना फ़ार्मुला नम्बर 45 इस्तेमाल किया। उस ऑटो मालिक को कोने में ले जाकर मंत्र दिया। उस पर मंत्र का असर बिच्छु के डंक मारने जैसा हुआ।॥….।॥….॥साले सवारी देख कर बैठाए करो, खुद भी मरोगे और हमें भी मरवाओगे। चलो अब जैसे भी होगा इन्हे गौरीशंकर 1 तक पहुंचा कर आना है।

"तेरे बाप का राज है क्या" इस पोस्ट में उपरोक्त पंक्तियां पढकर कई मित्रों ने फार्मुला नं 45 और 36 और मंत्र के बारे में जानने की इच्छा की थी। लेकिन श्री ललित शर्मा जी ने किसी को इन मंत्रों की जानकारी नहीं दी। दोनों फार्मूले के नम्बर सबसे छोटी अविभाज्य संख्या 3 से विभाजित होते हैं। तो तीन अक्षरों का वह मंत्र कौन सा है जिससे बिगडे काम बन जाते हैं और बडे-बडे तीसमारखां आपके साथ बदमाशी या बेईमानी करने का ख्याल दिल से निकाल देते हैं। यह मंत्र मैं आपको बताऊंगा, लेकिन उससे पहले एक सूचना पढ लीजिये -   

श्री राज भाटिया जी ने जर्मनी से आकर आप सबसे मिलने का कार्यक्रम बनाया है। कुछ मित्र कहते हैं कि कोशिश करेंगें। मेरा उनसे कहना है कि वादा मत कीजिये केवल कोशिश कीजियेगा, क्योंकि
वायदे टूट जाते हैं अक्सर, कोशिशें कामयाब होती हैं
तारीख - 24 दिसम्बर 2011
दिन - शनिवार
समय - सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे 
स्थल -  पंजाबी धर्मशाला, रेलवे रोड, सांपला

देखिये निम्न पोस्ट

श्री राज भाटिया जी के ब्लॉग पराया देश से उद्धरित पंक्तियां -  
"मैं अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर, 
लोग साथ आते गये, कारवाँ बनता गया" 
हम और आप भी जुड हुये हैं इस कारवाँ से। लेकिन श्री राज भाटिया जी के शब्दों में इस ब्लॉगर मिलन का उद्देश्य केवल आभासी संसार से निकल कर आमने-सामने मिल बैठना है।
इस ब्लांग मिलन मे आप सब आमंत्रित हैं।  
इस ब्लॉग मिलन का असली मकसद सिर्फ़ यही है कि हम आपस में मिले, जिन्हे हम टिपण्णियां देते हे, जिन के लेख पढते हे, क्यों ना उन सब से मिले। इस ब्लांग मिलन मे कोई संगठन , यूनियन या कोई ओर ऐसी-वैसी बात नही होगी बस खाना पीना, बातें, विचारो का आदान प्रदान ओर आपस मे मिलना जुलना होगा ओर ब्लॉगिंग से सम्बधित बातें होंगी। सो एक बार आप सब से मिलना हो जायेगा इसी बहाने, ओर ब्लॉगिंग की बातों के अलावा भी बहुत सी बातें होंगी, चुटकले होंगे, कविता होगी, शेर, बकरी, गजल या गीत होगा।

अरे! आपको बडी जल्दी है मंत्र के बारे में जानने की। चलो बता देता हूँ। आपको बस इतना करना है कि कोई भी आपके साथ कुछ गलत करता है तो उसके कान में 3 बार ये 3 शब्द कहें - "मैं ब्लॉगर हूँ" "मैं ब्लॉगर हूँ" "मैं ब्लॉगर हूँ"
अगर आप सचमुच ब्लॉगर हैं तो सामने वाला हथियार डाल देगा, वर्ना आप समझदार हैं ही-ही-ही-ही

17 November 2011

मुझे शिकायत है

हम ब्लॉगर्स जिन्हें पढते हैं और जो हमारा ब्लॉग पढकर टिप्पणियां करते हैं, उनसे आमने-सामने मिलने की इच्छा कई बार होती रहती है।आप भी अपने आगमन की सूचना (केवल ब्लॉगर मीट/ केवल कविसम्मेलन/ या दोनों के बारे में जरुर बतायें) टिप्पणी, ईमेल या फोन (9871287912) द्वारा जल्द से जल्द दें। ताकि आपके सोने, खाने, आराम आदि की व्यवस्था सामर्थ्यानुसार और बेहतर ढंग से की जा सके। प्रायोजक कौन है?

08 November 2011

रचना जी के सवाल से उपजा सवाल

"सरकार का कोई भी प्रयास कुछ नहीं कर सकता क्युकी जो लोग "गरीब " हैं वो अपने बच्चो को पैसा कमाने की मशीन मानते हैं और खुद कहते हैं की बच्चे ज्यादा होने से कोई नुक्सान नहीं होता . उनके हिसाब से बच्चो पर कोई खर्चा ही नहीं होता हैं . उनका तो एक ५ साल का बच्चा भी रद्दी जमा करके दिन में ३० रूपए कमा लेता हैं।"

हालांकि उनकी ये पंक्तियां किसी दूसरे संदर्भ में हैं, फिर भी इन बातों से मेरे मन में कुछ विचार आये हैं।
1> क्या ज्यादा बच्चे पैदा करने के बाद भी "गरीब" के जीवन स्तर में सुधार आ पाता है।
2> उच्च और मध्य श्रेणी की बजाय गरीब परिवारों में जन्म की दर अधिक है, इस कारण से गरीब वर्ग में बढोतरी बढती जा रही है।
3> किसी भी देश में संसाधनों की अपनी सीमा होती है, इस कमी के कारण गरीब अपने स्तर से बाहर नहीं आ पाता।

अब ये आंकडे देखिये : 
1> भारत में दुनिया की सबसे ज्यादा मलिन बस्तियां हैं।
2> दुनिया की आबादी का 17.5% भारत में है और क्षेत्रफल का केवल 2.4% है।
3> भारत की आबादी में 42% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है।
4> भारत के शहरों में रह रहे 30करोड परिवारों में 6करोड मलिन बस्तियों में निवास करते हैं।

अब सवाल ये है कि क्या जन्म देने का अधिकार सबको मिलना चाहिये। जनसंख्या वृद्धि रोकने में सरकार के  प्रयासों की कमी नहीं है, फिर भी इसे लोगों की इच्छा पर छोडा गया है। इसी कारण से भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या वृद्धि की दर करीबन 18% है।  ऐसे उपाय जिन्हें सख्ती से इस देश में लागू किया जाये तो जनसंख्या वृद्धि पर नकेल लगाई जा सकती है। 

1> आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं को मिले जो केवल 1बच्चा पैदा करे उसी को मिलना चाहिये।
2> सरकारी संसाधनों का लाभ जैसे अस्पताल आदि से मदद केवल पहले बच्चे के जन्म पर मिले। दूसरे बच्चे के जन्म का खर्च आदि परिवार स्वयं वहन करे।
3> पालन-पोषण का सामर्थ्य हो तो दम्पत्ति को दूसरा बच्चा पैदा करने की अनुमति मिले।
4> ॠण या अन्य मदद चाहने वालों के लिये नसबंदी जरुरी कर दी जाये।
5> गर्भनिरोधक हर वस्तु को सहज, सुलभ, मुफ्त, सब्सिडी या टैक्स फ्री किया जा सकता है।

भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, चोरी, लूटमार, हत्या सबकी एक ही जड जनसंख्या वृद्धि है। 
चलते-चलते एक सवाल और है कि आरक्षण पिछ्डों और दलितों के विकास के लिये बना था। अगर कोई आई पी एस रैंक का अधिकारी या इन्कम या सेल्स टैक्स ऑफिसर या कोई बडा पद आरक्षण के जरिये पा जाता है तो क्या उसके बच्चों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिये???