बृजकिशोर (मेरे सहकर्मी) ने कहा "अन्ना हजारे के आन्दोलन पर कुछ लिखो"। मैनें कहा कि - लिखना तो चाहता हूँ पर मैं कोई पत्रकार नहीं हूँ और मेरे मन में आये विचारों को शब्दों में लिखना मुझे बहुत मुश्किल कार्य लगता है। ऐसा करो आप ही मुझे थोडा मैटर बताओ, मैं आपके नाम से लिख देता हूँ। उन्होंने मुझे एक-दो ही पंक्ति बताई कि - "जहां एक आम आदमी पूरी उम्र में अपना घर नहीं बना पाता वहीं नेता लोग पाँच वर्ष में ही कुबेर बन जाते हैं और सरकार और अफसर देश को लूट रहे हैं, हम अन्ना हजारे के आंदोलन में उनके साथ हैं।" मैनें कहा - "ये तो आपने कोई नई बात नहीं बताई, ये तो सब जानते हैं और कहते हैं। कुछ ठोस विचार दीजिये।" लेकिन कार्यालय में कुछ कार्य आ जाने से उनसे आगे चर्चा नहीं हो पाई।
बृजकिशोर जी ना तो ब्लॉगर हैं और ना ही ब्लॉग्स पढते हैं, लेकिन वे मेरे ब्लॉग पठन और लेखन के बारे में जानते हैं, इसलिये उन्होंने ऐसा कहा। बृजकिशोर जी अखबारों और न्यूज चैनल्स पर निर्भर रहते हैं और इनपर पूरी श्रद्धा और विश्वास के सहारे ही किसी विषय पर अपने विचार प्रकट करते हैं। मैनें उनसे कहा कि आओ जंतर-मंतर चलते हैं। हमें भी आंदोलन में शरीक होना चाहिये। उन्होंने कहा कि मैं तो वहां गया था।
ट्रेन में दीपक से कहा कि मैं जंतर-मंतर जा रहा हूँ, आओ अगर तुम चलना चाहते हो तो। दीपक ने कहा कि वहां क्या हो रहा है? उसे अन्ना जी के आंदोलन के बारे में बताया-समझाया। दूसरे सहयात्रियों ने बहस शुरु कर दी। वहां जाने से क्या होगा। अन्ना जी की शर्तें मान ली जायेंगी, बिल पास हो जायेगा, लोकपाल और लोकायुक्त बन जायेंगे उसके बाद??? क्या गारंटी है कि तब भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी बंद हो जायेगी। क्या इन पदों पर बैठे सभी लोग अन्ना हजारे होंगे??? जब संसद से अफसरशाही और सीबीआई से लेकर हाई कोर्ट और सु्प्रीम कोर्ट के न्यायाधीश तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तो इस समिति में पदासीन अधिकारियों पर कैसे भरोसा रखा जा सकता है? एक आदमी ने यह कहा कि आज तुम वहां जाकर खडे हो जाओगे, लेकिन कल फिर अपने बेटे को नौकरी दिलवाने के लिये घूस खिलाओगे। इस देश का कुछ नहीं हो सकता।
यही एक पंक्ति "इस देश का कुछ नहीं हो सकता" कहने वालों की वजह से इस देश का कुछ नहीं हो पा रहा है। ऐसा कहने वाले ना खुद कुछ करते हैं और दूसरों को भी हतोत्साहित करते हैं।
यहां ट्रेन में बैठकर नेताओं और सरकार को गाली देने वाले लोग केवल सफर काटने के लिये ऐसा करते हैं। जब कोई उनके लिये आवाज उठाता है तो उसके साथ खडा होना तो दूर उसपर ही सवाल उठाने लगते हैं।
मैं तो अन्ना हजारे के इस आंदोलन में उनके साथ हूँ और भरसक कोशिश कर रहा हूँ कि जन-जन को उनके आंदोलन से जुडने के लिये प्रेरित करूं। अन्ना हजारे जी का अभियान तो सफल होने ही वाला है, लेकिन हमें खुद भी ईमानदार बनना होगा। हमें भी रिश्वत देकर अपना कार्य करवाने और कर चोरी से बचना होगा। हम नेताओं को गालियां देने वाले लोग कर चुकाने में क्या पूर्णत: ईमानदार हैं? बृजकिशोर जी हमेशा सरकार को गरियाते रहते हैं पानी, सीवर, बिजली आदि मूलभूत सुविधाओं के लिये। मैं उनसे पूछता हूँ कि जब आपने 25लाख रुपये का मकान खरीदा तो सरकारी कागजों में उसकी कीमत 2लाख क्यों दिखाई थी? क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है। क्यों लोग बिना बिल लिये खरीदारी करते हैं। आयकर के मामले में तो लगभग 90% लोग चोर हैं।
कौन लोग अन्ना हजारे के साथ नहीं हैं :
1> व्यापारी जो कर चोरी करते हैं। (हालांकि सिस्टम को ये भी गरियाते हैं)
2> जिन्होंने रिश्वत देकर सरकारी नौकरी पाई है।
3> जबरद्स्त नकारात्मक विचारों से भरे हुये लोग।
4> जिन्हें अब भी अन्ना हजारे के आंदोलन के बारे में नहीं पता।
………आगे आप जोड दें
कौन लोग अन्ना हजारे के साथ नहीं हैं :
1> व्यापारी जो कर चोरी करते हैं। (हालांकि सिस्टम को ये भी गरियाते हैं)
2> जिन्होंने रिश्वत देकर सरकारी नौकरी पाई है।
3> जबरद्स्त नकारात्मक विचारों से भरे हुये लोग।
4> जिन्हें अब भी अन्ना हजारे के आंदोलन के बारे में नहीं पता।
………आगे आप जोड दें